आरक्षण की ज़रूरत मूर्खों को है” — यह वाक्य सुनने में कठोर लगता है, लेकिन इसके पीछे छुपी सोच को समझना ज़रूरी है। यह कथन किसी जाति, वर्ग या समुदाय पर हमला नहीं है, बल्कि उस व्यवस्था पर सवाल है जो वर्षों से योग्यता से ज़्यादा पहचान को प्राथमिकता देती आ रही है। भारत जैसे देश में जहाँ प्रतिभा की कोई कमी नहीं, वहाँ अक्सर देखा जाता है कि मेहनती और काबिल लोग सिर्फ इसलिए पीछे रह जाते हैं क्योंकि वे किसी विशेष श्रेणी में नहीं आते। सवाल यह नहीं है कि आरक्षण आया क्यों, सवाल यह है कि क्या आज भी वही ज़रूरत बची है? आरक्षण की शुरुआत क्यों हुई थी? आरक्षण का उद्देश्य था — सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों को अवसर देना सदियों की असमानता को संतुलित करना शिक्षा और नौकरियों तक पहुँच आसान बनाना यह उद्देश्य सही था। लेकिन समस्या तब शुरू होती है जब अस्थायी समाधान स्थायी सिस्टम बन जाता है। आज की हकीकत आज देश में ऐसे लोग भी आरक्षण का लाभ ले रहे हैं जो आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक रूप से पूरी तरह सक्षम हैं। वहीं दूसरी तरफ, सामान्य वर्ग के गरीब और मेहनती छात्र सिर्फ इसलिए बाहर हो जाते हैं क्योंकि उनके पास “सर्टिफिके...
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