डिग्री विवाद: राजनीति का नया मुद्दा
हाल के वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षिक योग्यता को लेकर कई बार सवाल उठाए गए हैं। विपक्षी दलों ने बार-बार उनकी डिग्री की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए और जानकारी सार्वजनिक करने की मांग की। यह विवाद राजनीति के सबसे चर्चित मुद्दों में से एक बन गया है।
सप्रीम कोर्ट में भी इस मामले को लेकर याचिकाएं दाखिल हुईं, जिनमें पीएम की डिग्री से संबंधित दस्तावेजों की जांच और खुलासा करने की मांग की गई। हालांकि, कोर्ट ने कई बार यह साफ किया कि ऐसे मामलों में राजनीतिक लाभ-हानि की मंशा निहित होती है और तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करना उचित नहीं।
डिग्री विवाद अब केवल एक शैक्षिक बहस नहीं रहा, बल्कि यह देश की राजनीति, पारदर्शिता और जवाबदेही से जुड़ा अहम सवाल बन गया है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मुद्दा किस तरह से जनता की राय और चुनावी माहौल को प्रभावित करता है।
Pradhan Mantri Narendra Modi ki degree farjii hai… Supreme Court ne kaha”
ऐसा कोई विश्वसनीय स्रोत या सुप्रीम कोर्ट का निर्णय नहीं मिला है जो यह कहता हो कि मोदी साहब की डिग्री फर्जी है। नीचे फैक्ट-चेक करके सच्चाई बताऊँगा:
✔️ जो जानकारी सच है
1. Gujarat High Court Order
गुजरात उच्च न्यायालय ने एक सीआईसी (CIC) के आदेश को निरस्त किया था जिसमें गुजरात विश्वविद्यालय से प्रधानमंत्री की पोस्ट-ग्रेजुएशन डिग्री की जानकारी सार्वजनिक रूप से माँगी गई थी।
2. दिल्ली हाई कोर्ट का निर्णय (August 2025)
दिल्ली HC ने सीआईसी के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसने 1978 के BA रिकॉर्ड्स को सार्वजनिक करने का आदेश दिया था। न्यायालय ने कहा कि PM मोदी की शिक्षा संबंधी विवरण “personal information” हैं और वो RTI अधिनियम के तहत साफ-साफ सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।
3. Gujarat University ने कहा है कि उनके वेबसाइट पर डिग्री से जुड़ा कुछ रिकॉर्ड मौजूद है
विश्वविद्यालय ने दर्जा दिया है कि जिस डिग्री की बात हो रही है, उसके कुछ प्रकाशन विश्वविद्यालय वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।
4. AAP नेताओं की मांग और बयानबाज़ी
विपक्षी दल खासकर AAP ने कई बार आरोप लगाए कि प्रधानमंत्री की डिग्री की प्रामाणिकता स्पष्ट नहीं है, उन्होंने खुलासा करने की मांग की है।
❌ जो जानकारी गलत है / पुष्टि नहीं हुई
सुप्रीम कोर्ट ने कभी नहीं कहा कि मोदी की डिग्री फर्जी है। कहीं से ऐसी कोई आधिकारिक सुप्रीम कोर्ट की घोषणा नहीं मिली है।
अदालतों ने केवल यह स्पष्ट किया है कि सार्वजनिक जानकारी के लिए उन्हें RTI अधिनियम के तहत अनिवार्य नहीं माना जा सकता जब तक कि “public interest” के बड़े कारण न हों।
⚖️ निष्कर्ष
इसलिए, यह कहना कि “Supreme Court ने कहा कि PM Modi की degree फर्जी है” गलत सूचना है। अदालतों ने सिर्फ degree की जानकारी सार्वजनिक करने की मांगों को खारिज किया है या सीमित किया है, न कि डिग्री की प्रामाणिकता पर सवाल लगाने वाला निर्णय दिया है।
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